Guru Nanak Dev Ji Images, Photos and Wallpapers Download
हेलो नमस्कार सत्य श्री अकाल दोस्तों आज हम आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं सिखों के पहले गुरु श्री गुरु नानक देव जी की इमेजेज । आज की पोस्ट मे आप को मिलेगा
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गुरु नानक देव जी का जन्म रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नाम के एक गाँव में कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन एक खत्रीकुल में हुआ था। कुछ विद्वान के अनुसार इनकी जन्म-तिथि 15 अप्रैल, 1469 हैं। पर प्रचलित तिथि कार्तिक पूर्णिमा ही है, जो अक्टूबर-नवंबर में दीवाली के 15 दिन बाद आती है |
गुरु नानक देव जी के पिता का नाम मेहता कालू जी था और माता का नाम तृप्ता देवी था। तलवंडी का नाम आगे चलकर नानक के नाम पर ननकाना साहिब हो गया। गुरु नानक देव जी की एक बहन भी थी जिनका नाम नानकी था।
बचपन से ही गुरु नानक देव जी में प्रखर बुद्धि के लक्षण दिखाई देने लगे थे। लड़कपन से ही गुरु नानक देव जी सांसारिक विषयों से उदासीन रहते थे। पढ़ने लिखने में उनका मन नहीं लगता तह। 7-8 साल की उम्र में ही गुरु नानक देव जी का स्कूल छूट गया क्योंकि भगवत्प्रापति के संबंध में गुरु नानक देव जी के प्रश्नों के आगे अध्यापक ने हार मान ली तथा वो गुरु जी को सम्मान घर छोड़ने आ गए। उसके बाद गुरु जी सारा समय आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत करने लगे। बचपन के समय से ही कई चमत्कारिक घटनाएँ घटी जिन्हें देखकर गाँव के लोग गुरु नानक देव जी को दिव्य पुरूष मानने लगे तह। बचपन के समय से ही गुरु जी में श्रद्धा रखने वालों में उनकी बहन नानकी और गाँव के शासक राय बुलार प्रमुख हुआ करते थे।
गुरु नानक देव जी को मुसलमानों का पीर भी कहा जाता है क्यों के उन्होंने कभी भी किसी को धरम के नज़रिये से नहीं देखा बल्कि सबको एक सामान समझा । उनकी लिखी बानी सबको एक ही परमात्मा को मानने का संदेश देती है । गुरु नानक देव जी के बारे में बहुत सारे क़िस्से मशहूर हैं जिनमे से एक हम आपको बताने जा रहे है।
गुरु नानक देव जी सिक्ख धर्म के प्रथम गरु थे। उन्होंने छोटी-छोटी घटनाओं या बातचीत के द्वारा जीवन को गूढ बातों को समझाया है। गुरु जी ने मानवता के कल्याण के लिए देश-विदेश में अनेक यात्राएँ कीं। इन यात्राओं के दौरान उनका साथी भाई मरदाना हमेशा उनके साथ रहता था।
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guru nanak dev ji image |
एक बार यात्रा करते-करते गुरु जी एक गाँव में पहुँचे। वहाँ के लोग बड़े रूखे स्वभाव के थे। उन्होंने गुरु जी को ठहरने के लिए नहीं कहा। वहाँ से जाते समय गुरु जी ने कहा- यह गाँव बसा रहे।
चलते-चलते गुरु जी दूसरे गाँव में पहुँचे। उस गाँव के लोगों ने गुरु जी को और भाई मरदाना को भाँति-भाँति के भोजन प्रेम पूर्वक परोसे। गाँव के लोगों ने गुरु जी के
विचार बड़े ध्यान से सुने। जब गुरु जी वहाँ से जाने लगे तो उन्होंने कहा- यह गाँव उजड जाये।
भाई मरदाना बहुत हैरान हुआ और कहने लगा गुरु जी! यह क्या? जिस गाँव के लोगों ने आपको पानी तक नहीं पूछा, उनके बारे में आपने कहा कि यह गाँव बसा रहे और जिस गाँव के लोगों ने आपकी इतनी सेवा की, उन्हें आप उजड़ जाने का शाप दे रहे हो। यह बात क्या है?
गुरु जी कहने लगे- भाई मरदाना ! पहले गाँव के लोगों का व्यवहार अच्छा नहीं था इसलिये वे लोग जहाँ भी जायेंगे अपनी बुराई फैलायेंगे। उन लोगों का अपने गाँव में रहना ही ठीक है। दूसरे गाँव के लोगों का व्यवहार बहुत अच्छा था। वे जहाँ भी जायेंगे अच्छाई फैलायेंगे। हम चाहते हैं कि अच्छाई अधिक से अधिक फैले इसलिए मैंने इन्हें उजड़ जाने को कहा। यह सुनकर भाई मरदाना कह उठा, “वाह गुरु जी!"
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guru nanak dev ji image with ten gurus of Sikh's |
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guru nanak dev ji images with guru gobind singh ji and nine gurus of sikh's |
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Guru Nanak Dev ji Image with Guru Gobind Singh ji
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Guru Nanak Dev ji Image with Guru Gobind Singh ji and nine sikh gurus |
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Guru Nanak Dev ji Image with Guru Gobind Singh ji |
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Guru Nanak Dev ji Image with all sikh gurus |
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Conclusion : उम्मीद है आपको हमारी आज की पोस्ट
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